Saturday, 30 May 2015

राहों को मंजिल समझ कर ,

हम मुसाफिर बन गए।  

फिर पता चला  ऐ खुदा……

  

की इश्क़  में तेरी  देहलीज़  के ,

हम इबादत के मरीज़ बन गए।  



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Thursday, 21 May 2015

shuruat safar ki....

                          

              महफ़िल आपके मन के पन्नो की …….. 

doston ye khushnasibi hai meri ki aapne apna kucch waqt mujhe diya


    

ये दास्तान है उन मंज़ारो की ,

जिनको हासिल तो हम कर ना सके। 

फिर भी चाहा उन्हें रखना ख्वाबों में  मेहफ़ूज़ ,

पर इसके काबिल भी हम बन ना सके ..............